गुरुवार, 18 जनवरी 2024

 इतिहास में 

तथ्य होते है 

विकल्प नहीं,

जो आपको 

विकल्प समझे 

उसे इतिहास मानो।

vkj

रविवार, 6 जून 2021

शिशु माँ

 पूजा घर

सजाया

श्रीराम हनुमान

श्रीहरि माधव

महादेव  गणपति...

फिर भी कुछ

अधूरा सा लगा...


तभी ....


नन्ही नातिन

दौड़ती आई और

गोदी में बैठ गई....

अधरों पर 

मुस्कराहट 

आ गई.....


एक कमी थी ,

माँ अम्बे की ।

जो

पूरी हो गई....


विनय के. जोशी

आसमान सौप दिया

 पहले हथेली  में  मेरे  गुलाब रोप  दिया,

फिर  गले  मिलते  ही  छुरा  घोप दिया।


छुआ  भर था,  मेहंदी  को  एक  शाम,

उम्र  भर के  लिए  सिंदूर  थोप  दिया।


अर्पण कर दिए जब दोनों पंख तुम्हे,

बदले में  तुमने आसमान सौंप दिया।


चाही जो रियायत सांसों  के मूल्य में,

मुस्करा के एक नया  करारोप दिया ।


माँगा जो इलाज दिल  की लगी का,

दर्दे दिल का एक नया प्रकोप दिया।


कट  गया  जब  नीम   आँगन  का।

धूम से पौधा  तुलसी का रोप दिया।


विनय के.जोशी

सोमवार, 28 अक्तूबर 2019

हौसला था
परों में जान थी
खुला आसमान भी था
कोई
रोकने वाला ना था
फिर भी
उतर आये
धरा पर
आसमान में कोई
गले लगाने वाला ना था ।

गुरुवार, 11 जुलाई 2019

खुशियाँ तो
तुम्हारी अपनी
कमाई है ,
खुल कर खर्च करना ।
...हाँ.....
ग़म किसी की अमानत है
उन्हें ,
संभाल कर रखना ।

बुधवार, 6 अप्रैल 2016

धूप  भले ही रास्ता दिखती हज़ारों को 
      पर निगल लेती सितारों को 
नाज़ुक यादों  का दर्द रास्ते  क्या जाने
गुजरते लम्हे बड़ी बेरहमी से रौंदते है 

सोमवार, 8 जून 2015

बंधना - बांधना छोड़ो

क्यूँ बांधते हो
अपने को.…
अपनों को।
बंधन के तीन  कारण
भाव, स्वभाव और अभाव
और दो  विकल्प है ,
मन और  जिस्म।
मन की गति अद्भुत है.…
जब अपना न बन्ध  सका ,
तो पराये  पर जोर कैसा ?
बंधना - बांधना छोड़ो---दृष्टा बनो ....
क्या कहा ?
बंधोगे जिस्म को ....
अरे उसकी गति तो
मन से भी द्रुत है
फ़ना हो जायेगा
और पता भी नहीं चलेगा।


भावनाओं की झील
तैरते शब्द सुमन

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